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सोमवार, 13 अक्तूबर 2008
हिन्दी के साथ जितना द्रोह इन फिल्म वालो ने किया किसी और ने नही किया होगा। साधारणतया हम कभी ख़त नही बोलते पत्र या चिठ्ठी बोलते है, ख्वाब नही बोलते स्वप्न या सीधे-सीधे सपना बोलते है क्योकि ये हमारे संस्कार नही है इस तरह से
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मेरे बारे में
मनोज खलतकर
इन्दौर, मध्यप्रदेश, India
अपनी बात को देश के सामने रखने के लिए ब्लॉग के माध्यम से प्राप्त हुआ है. वर्ना राजनेता और पत्रकारों को ही ये अधिकार प्राप्त है.
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